BA Semester-1 Manovigyan - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2630
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान के प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए इसकी विधियों पर प्रकाश डालिए।

 

उत्तर-

मनोविज्ञान का अर्थ एवं उसकी परिभाषाएँ इस शीर्षक के लिए अध्याय 1 का दीर्घ 'उत्तरीय प्रश्न सं. 1 देखें।


मनोविज्ञान की विधियाँ मनोविज्ञान में व्यवहार का अध्ययन करने हेतु आवश्यकतानुसार उचित विधियों का उपयोग किया जाता है। उचित विधि के प्रयोग से ठोस निष्कर्ष प्राप्त होते हैं मनोविज्ञान के अर्न्तगत व्यवहार का अध्ययन करने हेतु प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं।
1. अन्तदर्शन विधि : अन्तर्दर्शन मनोविज्ञान की प्राचीन विधि है। टिचनर तथा अन्य संरचनावादियों ने मनोविज्ञान को चेतना के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया है। अन्तर्दर्शन का शाब्दिक अर्थ होता है स्वयं अपने अन्दर झाँकना, अर्थात मानसिक प्रक्रियाओं को स्वयं जानना तथा उसके बारे में विवरण प्रदान करना। उदाहरण - व्यक्ति किसी फूल को देखकर उसके बारे में क्या सोचता है, उसकी रिपोर्ट लेना अन्तर्दर्शन है। अन्तर्दर्शन विधि को विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने परिभाषित किया है-
हिलगार्ड के अनुसार (1975) "आत्मनिष्ठ घटनाओं या अनुभवों का विवरण प्रस्तुत करना अन्तर्दर्शन कहा जाता है।"
कून एवं मिट्टरर के अनुसार (2007) अन्तर्दर्शन का आशय अपने भीतर देखना या झाँकना है, अपने विचारों भादों या संवेदनाओं की जाँच कराना है।
अत कह सकते हैं। कि अन्तदर्शन स्वयं अपनी मनः स्थिति के बारे में किया जाता है।
2. प्रेक्षण विधि वाटसन एवं अन्य व्यवहारवादियों के अनुसार, किसी प्राकृतिक परिवेश में घटित होने वाले व्यवहार का आँखों देखा विवरण प्राप्त करना और उसका विश्लेषण करके वस्तुनिष्ठ निष्ट प्रस्तुत करना प्रेक्षण कहा जाता है।
कून के अनुसार (2003) स्वाभाविक परिवेश मंष घटित होने वाले व्यवहार का निरीक्षण ही प्रेक्षण हैं।"
मोसर के अनुसार (1958) प्रेक्षण स्पष्ट वैज्ञानिक जाँच की एक प्रतिष्ठित विधि है। वस्तुत: प्रेक्षण करने में कानों एवं वाणी की अपेक्षा नेत्रों का उपयोग किया जाता है।"
स्पष्ट है कि प्रेक्षण विधि के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के व्यवहारों का अध्ययन प्रायः नेत्रो द्वारा परीक्षण करके किया जाता है इसके द्वारा व्यक्तिगत एवं सामूहिक का स्वाभाविक परिवेश में अध्ययन कर सकते हैं। प्रेक्षण के आधार पर प्राप्त प्रदत्तों (ऑकडों) एव सूचनाओं का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करके व्यवहार तथा उसे उत्पन्न करने वाले कारण के बीच उचित सम्बन्ध स्थापित कर सकते हैं।
3. प्रायोगिक विधि- ज्ञान की किसी शाखा को विज्ञान का स्वरूप प्रदान करने में प्रायोगिक पद्धति की अहम् भूमिका होती है। इसे वैज्ञानिक विधि भी कहते हैं, क्योकि इसमें पूर्व नियोजित योजना के आधार पर कारण या स्वतंत्र परिवर्त्य को नियंत्रित दशा में प्राणी पर प्रहस्तित करके व्यवहार में होने वाले परिवर्तनो का प्रेक्षण तथा मापन करते हैं।
"नियंत्रित दशाओं में प्रेक्षण ही प्रयोग है।"
गैरेट के अनुसार (1953)
प्रयोग वैज्ञानिक जाँच की एक विधि है। जिसमें स्वतन्त्र परिवर्त्य को प्रयुक्त करके आश्रित परिवर्त्य पर उसके प्रभाव का प्रेक्षण करके कारण तथा प्रभाव सम्बन्ध की खोज की जाती है।
स्पष्ट है कि प्रयोग का उद्देश्य नियंत्रित अवस्था में प्राणी पर किसी कारक या परिवर्त्य का प्रशासन करके उसके परिणामस्वरूप व्यवहार में उत्पन्न परिवर्तन का प्रेक्षण या मापन करना होता है।
4. प्रश्नावली विधि - इसका उपयोग लोगों के मत एवं प्रतिक्रियाओं के अध्ययन में प्रायः होता है यदि प्रदत्त संग्रह व्यापक रूप में करना है। तो पूर्वनिर्मित प्रश्नावलियो का उपयोग करने से यह कार्य सरल हो जाता है।
प्रश्नावली का तात्पर्य किसी वस्तु या समस्या से सम्बन्धित लिखित प्रश्नों के समुच्चय से है अर्थात एक से अधिक प्रश्नों का संग्रहीत रूप ही प्रश्नावली कहा जाता है। प्रयोज्यो पर इसका उपयोग व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से किया जा सकता है। प्रश्नों का उत्तर लिखित या मौखिक रूप में देने की भी व्यवस्था की जा सकती है।
5. साक्षात्कार विधि - मैकाबी एव मैकाबी के अनुसार, "आमने-सामने होकर दो अथवा दो से अधिक व्यक्तियों के बीच विचारों के आदान-प्रदान को साक्षात्कार कहते है। इसमे साक्षात्कारकर्ता अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों से किसी वस्तु विचार या विश्वास के बारे में सूचनाएँ प्राप्त करने का प्रयास करता है।'
किसी व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति या व्यक्तियों से किसी समस्या, कार्य, घटना, वस्तु विचार या कार्यक्रम के बारे में उसके विचारों को जानने का प्रयास करना साक्षात्कार है। यह सदैव आमने- सामने की स्थिति में होता है और इसका एक निश्चित लक्ष्य होता है। यह कार्य बातचीत या प्रश्नो के माध्यम से किया जाता है। प्रश्न, परिस्थिति अनुसार याददाश्त के आधार पर या पूर्व निर्धारित करके पूछे जा सकते है। इस विधि का उदभव निदानात्मक अध्ययनो से हुआ है।
6. वैयक्तिक अध्ययन विधि - यह विधि मूलतः मनोविश्लेषणवादियों की देन है। इस विधि में किसी व्यक्ति, वस्तु, परिस्थिति या किसी संस्था के बारे में उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर निष्कर्ष प्रस्तुत किए जाते है।
इस विधि से किया जाना वाला अध्ययन काफी गहन होता हैं। ऐसे अध्ययनों के लिए अभिलेखों, जीवनियों, परिवार के सदस्यो, सम्बन्धियों तथा स्कूल आदि से तथ्यों का संग्रह करके व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला जाता है। इसका उपयोग मनोवैज्ञानिकों की तुलना में मनोचिकित्सकों द्वारा अधिक किया जाता है। वे इस विधि का उपयोग करके मानसिक बीमारियो के कारणों की पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी एकत्र करने का प्रयास करते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिये। इसके लक्ष्य बताइये।
  2. प्रश्न- मनोविज्ञान के उपागमों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- व्यवहार के मनोगतिकी उपागम को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- व्यवहारवादी उपागम क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- संज्ञानात्मक परिप्रेक्ष्य से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- मानवतावादी उपागम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- मनोविज्ञान की उपयोगिता बताइये।
  8. प्रश्न- भगवद्गीता में मनोविज्ञान को किस प्रकार समाहित किया है? उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- सांख्य दर्शन में मनोविज्ञान को किस प्रकार व्याख्यित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  10. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में मनोविज्ञान किस प्रकार परिभाषित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  11. प्रश्न- मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
  12. प्रश्न- मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
  13. प्रश्न- मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए इसकी विधियों पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
  17. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  18. प्रश्न- जब {D2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
  19. प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
  20. प्रश्न- चयनात्मक अवधान के किन्ही दो सिद्धांतों का वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- चयनात्मक अवधान के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए
  22. प्रश्न- दीर्घीकृत ध्यान का स्वरूप स्पष्ट करते हुए, उसके निर्धारक की व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- चयनात्मक अवधान के स्वरूप को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  24. प्रश्न- चयनात्मक अवधान तथा दीर्घीकृत अवधान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  25. प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  26. प्रश्न- क्लासिकी अनुबन्धन सिद्धान्त का विवेचन कीजिए तथा प्राचीन अनुबन्धन के प्रकार बताइये।
  27. प्रश्न- क्लासिकल अनुबंधन तथा क्लासिकल अनुबंधन को प्रभावित करने वाले तत्वों की व्याख्या कीजिए।
  28. प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन का अर्थ और उसकी आधारभूत प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- अधिगम अन्तरण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार बताइये।
  30. प्रश्न- शाब्दिक सीखना से आप क्या समझते हैं? शाब्दिक सीखने के अध्ययन में उपयुक्त सामग्रियाँ बताइए।
  31. प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिये।
  32. प्रश्न- शाब्दिक सीखना में स्तरीय विश्लेषण किस प्रकार किया जाता है?
  33. प्रश्न- शाब्दिक सीखना की संगठनात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया में अभिप्रेरणा का महत्त्व बताइये।
  35. प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन में संज्ञानात्मक कारकों की भूमिका बताइये।
  36. प्रश्न- अधिगम के नियमों का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- परिवर्जन सीखना पर टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- सीखने को प्रभावित करने वाले कारक।
  39. प्रश्न- स्मृति की परिभाषा दीजिये। स्मृति में सुधार कैसे किया जाता है?
  40. प्रश्न- स्मृति के प्रकारों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  41. प्रश्न- स्मृति में संरचनात्मक एवं पुनर्सरचनात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- विस्मरण के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  43. प्रश्न- प्रासंगिक तथा अर्थगत स्मृति से क्या आशय है? इनमें विभेद कीजिये।
  44. प्रश्न- अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति को संक्षेप में बताते हुये दोनों में विभेद कीजिये।
  45. प्रश्न- 'व्यतिकरण धारण को प्रभावित करता है।' इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  46. प्रश्न- स्मृति के स्वरूप पर प्रकाश डालिए। स्मृति को मापने की विधियों का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- विस्मरण के निर्धारक और कारणों का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- संकेत आधारित विस्मरण किसे कहते हैं? विस्मरण के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
  49. प्रश्न- स्मरण के प्रकार बताइयें।
  50. प्रश्न- अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति में अन्तर बताइये।
  51. प्रश्न- स्मृति सहायक प्रविधियाँ क्या हैं?
  52. प्रश्न- विस्मरण के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- पुनः प्राप्ति संकेतों के अभाव में किस प्रकार विस्मरण होता है?
  54. प्रश्न- स्मृति लोप क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  55. प्रश्न- विस्मरण के अवशेष-प्रसक्ति समाकलन सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिये।
  56. प्रश्न- ध्यान के कौन-कौन से निर्धारक होते है?
  57. प्रश्न- दीर्घकालीन स्मृति तथा उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- ध्यान की मुख्य विशेषताएँ बताइये।
  59. प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  60. प्रश्न- बुद्धि के संज्ञानपरक उपागम से आप क्या समझते हैं?
  61. प्रश्न- बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
  63. प्रश्न- 'बुद्धि आनुवांशिकता से प्रभावित होती है या वातावरण से। स्पष्ट कीजिये।
  64. प्रश्न- बुद्धि को परिभाषित कीजिये। इसके विभिन्न प्रकारों तथा बुद्धिलब्धि के प्रत्यय का वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार बताइये।
  66. प्रश्न- वंशानुक्रम तथा वातावरण बुद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
  67. प्रश्न- संस्कृति परीक्षण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
  68. प्रश्न- परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या से क्या आशय है?
  69. प्रश्न- उदाहरण सहित बुद्धि-लब्धि के प्रत्यन को स्पष्ट कीजिए।
  70. प्रश्न- बुद्धि परीक्षणों के उपयोग बताइये।
  71. प्रश्न- बुद्धि लब्धि तथा विचलन बुद्धि लब्धि के अन्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
  72. प्रश्न- बुद्धि लब्धि व बुद्धि के निर्धारक तत्व बताइये।
  73. प्रश्न- गार्डनर के बहुबुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- थर्स्टन के समूह कारक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  75. प्रश्न- स्पीयरमैन के द्विकारक सिद्धान्त के आधार पर बुद्धि की व्याख्या कीजिए।
  76. प्रश्न- स्पीयरमैन के द्विकारक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  77. प्रश्न- व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयुक्त परिभाषा देते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिये।
  78. प्रश्न- व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया है?
  79. प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  80. प्रश्न- व्यक्तित्व पर ऑलपोर्ट के योगदान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- कैटेल द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के शीलगुणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  82. प्रश्न- व्यक्ति के विकास की व्याख्या फ्रायड ने किस प्रकार दी है? संक्षेप में बताइए।
  83. प्रश्न- फ्रायड ने व्यक्तित्व की गतिकी की व्याख्या किस आधार पर की है?
  84. प्रश्न- व्यक्तित्व के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  85. प्रश्न- व्यक्तित्व के मानवतावादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  86. प्रश्न- कार्ल रोजर्स ने अपने सिद्धान्त में व्यक्तित्व की व्याख्या किस प्रकार की है? वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- व्यक्तित्व के शीलगुणों का वर्णन कीजिये।
  88. प्रश्न- प्रजातान्त्रिक व्यक्तित्व एवं निरंकुश व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिये।
  89. प्रश्न- शीलगुण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  90. प्रश्न- शीलगुण उपागम में 'बिग फाइव' (OCEAN) संप्रत्यय की संक्षिप्त व्याख्या दीजिए।
  91. प्रश्न- प्रेरणा से आप क्या समझते हैं? आवश्यकता, प्रेरक एवं प्रलोभन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  92. प्रश्न- विभिन्न शारीरिक एवं सामाजिक मनोजनित प्रेरकों का वर्णन कीजिए।
  93. प्रश्न- प्रेरणाओं के संघर्ष से आप क्या समझते हैं? इसके समाधान करने के तरीकों पर प्रकाश डालिये।
  94. प्रश्न- आवश्यकता-अनुक्रमिकता से क्या तात्पर्य है? मैसलो के अभिप्रेरणा सिद्धान्त का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  95. प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक एक प्रमुख सामाजिक प्रेरक है। स्पष्ट कीजिए।
  96. प्रश्न- “बाह्य अभिप्रेरण देने से आन्तरिक अभिप्रेरण में कमी आती है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  97. प्रश्न- जैविक अभिप्रेरकों के दैहिक आधार का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- आन्तरिक प्रेरणा क्या है और यह किस प्रकार कार्य करती है?
  99. प्रश्न- दाव एवं खिंचाव तंत्र अभिप्रेरित व्यवहार में किस प्रकार कार्य करता है?
  100. प्रश्न- जैविक और सामाजिक प्रेरक।
  101. प्रश्न- जैविक तथा सामाजिक अभिप्रेरकों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  102. प्रश्न- आन्तरिक एवं बाह्य अभिप्रेरण क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  103. प्रश्न- प्रेरणा चक्र पर टिप्पणी लिखो।
  104. प्रश्न- अभिप्रेरणात्मक व्यवहार के मापदण्ड बताइये।
  105. प्रश्न- पशु प्रणोद की माप का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- संवेग से आप क्या वर्णन कीजिये। समझते हैं? इसकी विशेषतायें तथा इसके विकास की प्रक्रिया का
  107. प्रश्न- सांवेगिक अवस्था में क्या शारीरिक परिवर्तन होते हैं?
  108. प्रश्न- संवेग के जेम्स लांजे सिद्धान्त तथा कैनन बार्ड सिद्धान्त का तुलनात्मक विवरण दीजिये।
  109. प्रश्न- संवेग शैस्टर-सिंगर सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये।
  110. प्रश्न- संवेग में सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
  111. प्रश्न- संवेगों पर किस प्रकार नियंत्रण कर सकते हैं? स्पष्ट कीजिये।
  112. प्रश्न- 'पॉलीग्राफिक विधि झूठ को मापने की उत्तम विधि है। स्पष्ट कीजिये।
  113. प्रश्न- संवेग के
  114. प्रश्न- संवेग के कैननबार्ड सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा उनकी मानसिक योग्यता सामान्य छात्रों से कम होती है।
  115. प्रश्न- सार्वभौमिक एवं विशिष्ट संस्कृति संवेग की अभिवृत्ति के विषय में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  116. प्रश्न- गैल्वेनिक त्वक् अनुक्रिया का अर्थ बताइए।
  117. प्रश्न- संवेग के आयामों को स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- संवेगावस्था में होने वाले परिवर्तनों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  119. प्रश्न- संवेगावस्था में होने वाले बाह्य शारीरिक परिवर्तनों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  120. प्रश्न- झूठ संसूचना से क्या आशय है?
  121. प्रश्न- संवेग तथा भाव में अन्तर बताइये।
  122. प्रश्न- संवेग के मापन की कोई दो विधियाँ बताइये।

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